♂️ आचार्य प्रशांत से मिलना चाहते हैं?<br />लाइव सत्रों का हिस्सा बनें: https://acharyaprashant.org/hi/enquir...<br /><br /> आचार्य प्रशांत की पुस्तकें पढ़ना चाहते हैं?<br />फ्री डिलीवरी पाएँ: https://acharyaprashant.org/hi/books?...<br /><br />~~~~~~~~~~~~~<br /><br />वीडियो जानकारी:<br />शब्दयोग सत्संग, 30.03.20, अद्वैत बोध शिविर, ग्रेटर नॉएडा, उत्तर प्रदेश, भारत<br /><br />प्रसंग: <br />नष्टे धने वा दारे वा पुत्रे पितरि वा मृते।<br />अहोदुःखमिति ध्यायञ्शोकस्यापचितिं चरेत्।।<br /><br />जब धन नष्ट हो जाय अथवा स्त्री, पुत्र या पिता की मुत्यु हो जाय, तब ‘ओह, संसार कैसा दुखमय है’ यह सोचकर मनुष्य शोक को दूर करने वाले शम – दम आदि साधनों का अनुष्ठान करे। <br />~पिंगलागीता (श्लोक ७)<br /><br />~ शमन-दमन आदि साधनों से क्या आशय है?<br />~ "किसी भी पल को पूरा जीना चाहिए" इससे क्या तात्पर्य है?<br />~ हर पल को पूरा कैसे जीएँ?<br />~ जब शोक बहुत सताए तो क्या करें?<br /><br /><br />संगीत: मिलिंद दाते<br />~~~~~~~~~~~~~